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चीनी मिल

गन्ना किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी, 15 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ सकती हैं गन्ने की एफआरपी

गन्ना किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी, 15 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ सकती हैं गन्ने की एफआरपी

नई दिल्ली। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट बैठक की गई। बैठक में गन्ने की एफआरपी यानि उचित व लाभकारी मूल्य (Fair and Remunerative Price - FRP) बढाने के लिए निर्णय लिया गया। बताया जा रहा है कि गन्ना की एफआरपी में 15 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी करने की सिफारिशें हुईं हैं। सम्भवतः जल्दी ही इसे पारित किया जाएगा। जानकारों की मानें तो बीते साल 2021 में गन्ने की एफआरपी 290 रुपए प्रति क्विंटल थीं, जो अब बढ़कर 305 रुपये प्रति क्विंटल हो जाएगी। बीते वित्तीय वर्ष में इसमें केवल 5 रुपये की वृद्धि हुई थी। गन्ने पर बढ़ाई जा रही एफआरपी आगामी 1 अक्तूबर से 30 सितंबर 2023 तक के लिए तय की जाएगी। इससे लाखों किसानों को फायदा मिलना तय है।

गन्ना नियंत्रण आदेश 1966 के तहत तय होती है एफआरपी

- प्रदेश सरकार गन्ना नियंत्रण आदेश 1966 के तहत गन्ने की एफआरपी तय करती है। इसके लिए कृषि लागत और मूल्य आयोग सिफारिश करता है। एफआरपी के अंतर्गत चीनी मिल किसानों से न्यूनतम भाव पर गन्ना खरीदता है।



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देश के कई राज्यों को नहीं मिलेगा एफआरपी का फायदा

- सरकार के इस फैसले से देश के कई राज्यों में गन्ना किसानों को फायदा नहीं मिलेगा। देश में सबसे ज्यादा गन्ना उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश है। लेकिन यूपी के गन्ना किसानों को एफआरपी पर बढ़ी हुई कीमत का लाभ नहीं मिलेगा। क्योंकि यूपी में एफआरपी पहले से ही ज्यादा है।

मंहगाई को देखते हुए बढ़नी चाहिए एफआरपी

- भले ही सरकार ने गन्ना की एफआरपी 15 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है। लेकिन किसान इसे मंहगाई की तुलना में काफी कम मान रहे हैं। किसानों के कहना है कि मंहगाई के हिसाब से ही एफआरपी बढ़नी चाहिए। क्योंकि खाद, पानी, बीज और कीटनाशक दवाओं के साथ-साथ मेहनत-मजदूरी भी लगातार बढ़ रही है।



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घट रहा है गन्ना की खेती का रकबा

- उत्तर प्रदेश में पिछले कई सालों से गन्ना की खेती का रकबा लगातार घटता जा रहा है। चीनी मिलों से, गन्ना का बकाया भुगतान समय से न मिलना और दूसरी फसलों में अच्छा मुनाफा होने के चलते किसानों का गन्ना से मोहभंग होता जा रहा है।
भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान द्वारा गन्ने की इन तीन प्रजातियों को विकसित किया है

भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान द्वारा गन्ने की इन तीन प्रजातियों को विकसित किया है

गन्ना उत्पादन के मामले में भारत दुनिया का सबसे बड़ा देश माना जाता है। फिलहाल भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान द्वारा गन्ने की 3 नई प्रजातियां तैयार करली गई हैं। इससे किसान भाइयों को बेहतरीन उत्पादन होने की संभावना रहती है। भारत गन्ना उत्पादन के संबंध में विश्व में अलग स्थान रखता है। भारत के गन्ने की मांग अन्य देशों में भी होती है। परंतु, गन्ना हो अथवा कोई भी फसल इसकी उच्चतम पैदावार के लिए बीज की गुणवत्ता अच्छी होनी अत्यंत आवश्यक है। शोध संस्थान फसलों के बीज तैयार करने में जुटे रहते हैं। हमेशा प्रयास रहता है, कि ऐसी फसलों को तैयार किया जाए, जोकि बारिश, गर्मी की मार ज्यादा सहन कर सकें। मीडिया खबरों के मुताबिक, भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान द्वारा गन्ने की 3 नई ऐसी ही किस्में तैयार की गई हैं। यह प्रजातियां बहुत सारी प्राकृतिक आपदाओं को सहने में सक्षम होंगी। साथ ही, किसानों की आमदनी बढ़ाने में भी काफी सहायक साबित होंगी।

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जानकारी के लिए बतादें कि गन्ने की इस प्रजाति की बुवाई हरियाणा, पश्चिमी उत्त्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और राजस्थान में की जा सकती है। यहां के मौसम के साथ-साथ मृदा एवं जलवायु भी इस प्रजाति के लिए उपयुक्त है। साथ ही, इसका रंग भी हरा एवं मोटाई थोड़ी कम है। इससे प्रति हेक्टेयर 82.8 टन उपज मिल जाती है। इसके रस में शर्करा 17 फीसद, पोल प्रतिशत केन की मात्रा 13.22 प्रतिशत है।

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इस किस्म की बुवाई उत्तर प्रदेश में की जा सकती है। इस हम प्रजाति के गन्ना के रंग की बात करें तो हल्का पीले रंग का होता है। यदि उत्पादन की बात की जाए तो एक हेक्टेयर में इसका उत्पादन 95 टन गन्ना हांसिल होगा। इसके अंतर्गत 18.60 प्रतिशत शर्करा, पोल प्रतिशक 14.55 प्रतिशत है। किसान इससे अच्छी उपज हांसिल सकते हैं।

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अनुसंधान संस्थान द्वारा लंबे परिश्रम के उपरांत यह किस्म तैयार की है। इसके रस में 17.65 प्रतिशत शर्करा एवं पोल प्रतिशत केन की मात्रा 13.42 प्रतिशत है। इस किस्म के गन्ने की लंबाई थोड़ी कम और मोटी ज्यादा है। इस गन्ने की बुवाई उत्तराखंड, पंजाब और हरियाणा में की जा सकती है। यहां का मौसम इस प्रजाति के लिए उपयुक्त माना जाता है। इसका रंग भी हल्का पीला होता है। अगर उत्पादन की बात की जाए, तो यह प्रति हेक्टेयर 91.5 टन उत्पादन मिलेगी।यह किस्म लाल सड़न रोग से लड़ने में समर्थ है।
अब जल्द ही चीनी के निर्यात में प्रतिबन्ध लगा सकती है सरकार

अब जल्द ही चीनी के निर्यात में प्रतिबन्ध लगा सकती है सरकार

भारत में खाद्य चीजों की कमी होने का ख़तरा मंडरा रहा है, इसलिए सरकार ने पहले ही गेहूं और टूटे हुए चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। अब केंद्र सरकार एक और कमोडिटी पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रही है, वो है चीनी।

सरकार चीनी के निर्यात (cheeni ke niryat, sugar export) पर जल्द ही फैसला ले सकती है क्योंकि इस साल खराब मौसम और कम बरसात की वजह से प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में गन्ने का उत्पादन कम हुआ है, 

साथ ही कवक रोग के कारण गन्ने की बहुत सारी फसल खराब हो गई है। उत्तर प्रदेश में इस साल सामान्य से 43 फीसदी कम बरसात हुई है।

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इस बात का अनुमान लगाया जा रहा है कि इस साल सरकार चीनी मिलों को 50 लाख टन चीनी निर्यात करने की अनुमति ही प्रदान करेगी, इसके बाद देश में होने वाले उत्पादन और खपत का आंकलन करने के बाद आगे की समीक्षा की जाएगी। 

इसके पहले केंद्र सरकार 24 मई को ही चीनी निर्यात को प्रतिबन्धी श्रेणी में स्थानान्तरित कर चुकी है। सरकार इस साल चीनी उत्पादन को लेकर बेहद चिंतित है। 

सरकार के अधिकारी इस बात पर विचार कर रहे हैं कि घरेलू बाजार में चीनी की आपूर्ति और मांग में किस प्रकार से सामंजस्य बैठाया जाए। फिलहाल कुछ राज्यों में इस साल अच्छी बरसात हुई है। 

इन प्रदेशों में गन्ने की खेती के लिए पानी की उपलब्धता लगातार बनी हुई है, जिससे महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु के गन्ने के उत्पादन में वृद्धि हुई है, इससे अन्य राज्यों में कम उत्पादन की भरपाई होने की संभावना बनी हुई है। 

साल 2021-22 में चीनी का उत्पादन 360 लाख टन के रिकॉर्ड को छू चुका है, साथ ही इस दौरान चीनी का निर्यात 112 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर पर रहा।

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सूत्र बताते हैं कि चीनी के उत्पादन के मामलों में सरकार जल्द ही निर्णय ले सकती है, जल्द ही सरकार 50 लाख टन की प्रारंभिक मात्रा की अनुमति दे सकती है। 

भारतीय चीनी मिलें जल्द से जल्द चीनी का निर्यात करके ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाने के मूड में हैं, क्योंकि अभी इंटरनेशनल मार्केट में चीनी की उपलब्धता ज्यादा नहीं है। 

चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक देश ब्राज़ील अप्रैल से लेकर नवम्बर तक इंटरनेशनल मार्केट में चीनी सप्प्लाई करता है। जिससे इंटरनेशनल मार्केट में चीनी की उपलब्धता ज्यादा हो जाती है और चीनी का वो भाव नहीं मिलता जिस भाव का मिलें अपेक्षा करती हैं। 

इसके साथ ही इस मौसम में चीनी मिलें निर्यात करने के लिए इसलिए इच्छुक हैं क्योंकि इस सीजन में चीनी की कीमत ज्यादा मिलती है। इस समय इंटरनेशनल मार्केट में चीनी की वर्तमान बोली लगभग 538 डॉलर प्रति टन लगाई जा रही है।

यह सौदा चीनी को घरेलू बाजार में बेचने से ज्यादा लाभ देने वाला है क्योंकि चीनी को घरेलू बाजार में बेचने पर मिल मालिकों को 35,500 रुपये प्रति टन की ही कीमत मिल पाती है।

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जबकि महाराष्ट्र में यह कीमत घटकर 34000 रूपये प्रति टन तक आ जाती है, जिसमें मिल मालिकों को उतना फायदा नहीं हो पाता जितना कि इंटरनेशनल मार्केट में निर्यात करने से होता है। 

इसलिए मिल मालिक ज्यादा से ज्यादा चीनी का भारत से निर्यात करना चाहते हैं। लेकिन सरकार घरेलू जरूरतों को देखते हुए जल्द ही इस निर्यात पर प्रतिबन्ध लगाने का फैसला ले सकती है।

मथुरा जनपद में बंद पड़ी छाता चीनी मिल को योगी सरकार ने फिर से शुरू किया

मथुरा जनपद में बंद पड़ी छाता चीनी मिल को योगी सरकार ने फिर से शुरू किया

हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में मथुरा जनपद की बंद पड़ी छाता चीनी मिल की भूमि पर 3000 टीडीसी क्षमता की नई चीनी मिल और 60 केएलपीडी क्षमता की आसवानी एवं लॉजिस्टिक हब वेयरहाउसिंग कंपलेक्स की स्थापना के लिए गन्ना एवं चीनी मिल विभाग द्वारा प्रस्ताव पर मुहर लग गई है। बतादें कि मथुरा की बंद पड़ी इस चीनी मिल की स्थापना से चीनी मिल क्षेत्र का चहुँमुखी विकास के साथ-साथ प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार का सृजन भी होगा। साथ ही, इससे प्रदेश की आर्थिक उन्नति को भी बल मिलेगा। प्रदेश के चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास मंत्री लक्ष्मीनारायण चौधरी ने बताया कि चीनी मिल एवं आसमानी प्लांट तथा अन्य परियोजनाओं के संचालन हेतु जनशक्ति का नियोजन भी किया जाएगा। गन्ना मंत्री ने कहा है, कि इस बंद पड़ी चीनी मिल की जमीन पर पूर्व में प्रस्ताव किया गया था। यह भी पढ़ें: भारत द्वारा चीनी निर्यात पर प्रतिबन्ध से कई सारे शक्तिशाली देशों में चीनी उत्पाद हुए महंगे

नवीन चीनी मिल की स्थापना बंद पड़ी मिल की जगह पर ही होगी

चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास मंत्री लक्ष्मीनारायण चौधरी ने बताया प्रस्तावित परियोजना वर्तमान में उपलब्ध नवीनतम तकनीकी पर आधारित है। जिसके अंतर्गत उच्च दबाव के बायलर, नया दक्ष मिलिंग प्लांट, इंसीडेंटल कोजनरेशन हेतु उपयुक्त टर्बो जनरेटिंग सेट, ब्वॉयलिंग हाउस में उच्च क्षमता वाली मशीनरी की स्थापना एवं वी-हैवी शिरे से इथेनॉल की पैदावार के लिए 60 के.एल.पी.डी क्षमता की आसवानी तथा लॉजिस्टिक हब वेयरहाउसिंग कांप्लेक्स की स्थापना हेतु राष्ट्रीय सहकारी शक्कर कारखाना संघ लिमिटेड नई दिल्ली से डीपीआर तैयार कराया गया है।

नवीन चीनी मिल से रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे

मथुरा के छाता में बंद पड़ी चीनी मिल के स्थान पर नवीन चीनी मिल के चालू होने से रोजगार के दरवाजे खुलेंगे। चीनी मिल और विभागों के नियंत्रण समन्वय एवं पर्यवेक्षण के लिए केंद्रीकृत वेतनमान समूह 'क' व 'ख' अधिकारियों की तैनाती वर्तमान में कार्यरत अधिकारियों की उपलब्धता /पदोन्नति/ प्रतिनियुक्ति /संविदा के माध्यम से की जाएगी। प्रशासन, लेखा ,लैब ,विक्रय, क्राइम ऑफिस, स्टोर ,विधि में वेज बोर्ड वेतनमान के समरूप पदों पर आउटसोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से कर्मियों को संविदा पर तैनात करने का कार्य भी होगा। यह भी पढ़ें: चीनी के मुख्य स्त्रोत गन्ने की फसल से लाभ

नवीन चीनी मिल स्थापना से लाखों किसान होंगे लाभांवित

गन्ना मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने बताया है, कि मथुरा की बंद पड़ी छाता चीनी मिल और विवादित भूमि पर 300 टीडीसी क्षमता की नई चीनी मिल 60 केएलपीजी क्षमता की आसवनी एवं लॉजिस्टिक हब वेयरहाउसिंग कंपलेक्स की स्थापना होनी है। चीनी मिल से जुड़ी परियोजना की प्रस्तावित लागत 47846.85 लाख के सापेक्ष प्रयोजना रचना एवं मूल्यांकन प्रभाग द्वारा परीक्षण करते हुए पब्लिक इन्वेस्टमेंट बोर्ड की बैठक में विचार के लिए प्रस्तुत किया गया। 21 मार्च 2023 को पीआईबी की संपन्न हुई बैठक में विचार विमर्श के पश्चात परियोजना को 46129.96 लाख के खर्च पर संस्तुति करने हेतु निर्देश दिए गए। यह चीनी मिल राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-2 पर छाता रेलवे स्टेशन से 500 मीटर की दूरी पर मौजूद है। साथ ही, इस मिल के समीप 43.3 हेक्टेयर रकबे की जमीन भी उपलब्ध है। साथ ही, इससे 10 लाख किसानों को सीधे तौर पर फायदा मिलेगा और हजार से अधिक युवाओं को रोजगार भी प्राप्त होगा। साथ ही, व्यापार में इजाफा होगा।